जिले की नगीना लोकसभा सीट पर गठबंधन ने जीत हासिल की है। यह सीट बसपा के खाते में पहली बार गई है। बसपा प्रत्याशी गिरीशचंद्र ने भाजपा सांसद डॉ. यशवंत सिंह को चुनाव में कड़ी मात दी है। उन्होंने यशवंत सिंह को 1,66,832 वोटों से हराया है। नगीना सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री ओमवती अपनी जमानत नहीं बचा पाईं। उन्हें मात्र 20046 वोट ही मिले हैं।
2009 में पहली बार बनी इस लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कब्जा किया था। भाजपा के डॉ. यशवंत सिंह ने मोदी लहर में सपा प्रत्याशी यशवीर धोबी को करीब 80 हजार वोटों से हराया था।
बसपा प्रत्याशी गिरीशचंद्र तीसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट पर भाजपा ने सांसद यशवंत सिंह पर और बसपा ने गिरीशचंद्र पर ही दांव खेला था। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री ओमवती को चुनाव मैदान में उतारा था।
सात साल की कड़वाहट भुलाकर एकजुट हुआ काजी परिवार लोकसभा चुनाव में अपनी सियासी जमीन नहीं बचा सका। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े इमरान मसूद दो लाख वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे हैं।
हालांकि राजनीति के जानकार सपा और बसपा का गठबंधन होने के बाद से ही इमरान के तीसरे नंबर पर रहने की बात कह रहे थे, मगर इमरान 2014 के चुनाव में मिले भारी मतों के आधार पर इस बार छह लाख से अधिक वोट मिलने का दावा कर रहे थे, मगर उनके सभी दावे फेल साबित हुए और गठबंधन प्रत्याशी हाजी फजलुर्रहमान सबको पछाड़ते हुए संसद पहुंचने में कामयाब हुए। सहारनपुर ही नहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काजी परिवार का राजनीतिक कद काफी बड़ा रहा है।