औद्योगिक एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का राष्ट्रीय संगठन इंडस्ट्रीज एंड ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के द्वारा व्यापारी व उधमियों की ज्वलंत समस्याओं और उनके समाधान की मांग को लेकर मंथन कार्यक्रम का आयोजन रविवार को संस्था की दिल्ली प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रामनिवास गुप्ता के द्वारा गांधी शांति प्रतिष्ठान में किया गया।
कार्यक्रम संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ महेश कुमार आहूजा।विजय प्रकाश जनरल मैनेजर एमएसएमई, एडवोकेट मुकुल गुप्ता चेयरमैन ऑल इंडिया टैक्स प्रैक्टिशनर्स फेडरेशन ने कारोबारियों की समस्याऐं सुनी व जी एसटी की बारीकियां समझाई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रिंस कंसल, राष्ट्रीय महामंत्री, स्वागत अध्यक्ष जय प्रकाश गुर्जर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौजूद रहे संगठन के पदाधिकारियों व सदस्यों ने अपनी ज्वलंत समस्याओं जीएसटी वे दिल्ली शहर में चल रही सीलिंग को से छुटकारा देने के लिए केंद्र व दिल्ली सरकार को अपनी समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन सौंपा ज्ञापन के तहत व्यापारियों की मांग है कि दिल्ली में जीएसटी महत्वपूर्ण कर सुधार विषय है लेकिन वर्तमान में इसमें अनेक खामियां हैं जिनका खामियाजा कारोबारियों को खास कर छोटे व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है कारोबारियों ने कहा कि जीएसटी की दरें दो करोड रुपए की टर्नओवर तक 6% 2 करोड़ से 10 करोड़ तक 5% 10 करोड से 100 करोड़ तक 10% 100 करोड़ से अधिक पर 15% की जानी चाहिए वही सर्विस टैक्स पांच परसेंट 10% व 15% से अधिक नहीं किया जाना चाहिए उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की केंद्र सरकार से की है आयकर सीमा को बढ़ाकर 3लाख से बढ़ाकर 5 लाख तक किए जाने की मांग भी कारोबारियों ने अपने ज्ञापन भी है और ठीक प्रकार से काम नहीं करने के कारण कारोबारियों को रिटर्न भरने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है ऐसे मामलों में कारोबारियों पर जीएसटी रिटर्न भरने में विलंब होने पर लगाए जाने वाले शुल्क को भी हटाया जाना हटाए जाने की मांग कारोबारियों ने की कारोबारियों का आरोप है कि जीएसटी विजिलेंस आदमियों को नोटिस भेजकर उनका उत्पीड़न कर रही है यह उत्पीड़न बंद किया जाना चाहिए वही कारोबारियों ने राजधानी में लगातार की जा रही सीलिंग को बंद करने के लिए केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग भी की केंद्र सरकार से मांग करते हुए कारोबारियों ने कहा राजधानी में जो प्रदूषण है वह सरकारी तंत्र की उदासीनता के कारण है जिस वक्त राजधानी के रिहायशी क्षेत्रों में कारोबारी अपने उधम लगा रहे थे उस समय सरकारों ने सरकारी अधिकारियों ने उन्हें बिजली के कनेक्शन भी दिए उन्हें लाइसेंस भी दिए उन्हें अन्य चीजें भी प्रदान की आज जब इन कारोबारियों के छोटे कारोबार थोड़ा सा बड़ा रूप धारण कर चुके हैं और वे अपने कार को चला रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं ऐसे में आज इन छोटे कारोबारियों को यहां से उजाला जाना कहां तक तर्कसंगत है वही कारोबारियों ने सुप्रीम कोर्ट उच्चतम न्यायालय से मांग करते हुए कहा कि उनको उजाला जाना बिल्कुल गलत है और सुप्रीम कोर्ट दोनों पक्षों की सुनवाई करें उनके पक्ष की भी सुनवाई करें इस पूरी कवायद में वह सरकारी अधिकारी भी दोषी हैं उन्होंने उस समय वह रजिस्ट्रेशन